Sunday, August 31, 2014

अज आंखन वारिस शाह नु कितों कब्र विछों बोल - अमृता प्रीतम





आज अमृता के जन्मदिन पर कौनसा गीत लगाऊं , सुबह से इसी मुश्किल में था , फिर मैंने उनकी voice recordings ढूंढी . फिर अचानक उनकी वो कविता याद आई , जिसको सुनने से ही आँख में पानी भर आता है . ये नज़्म उन्होंने हिन्दुस्तान पकिस्तान के बंटवारे पर लिखी थी . नज़्म का एक एक लफ्ज दिल में पारा बन कर उतरता है . अमृता की ही आवाज में ये नज़्म सुनिए .


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